निबोली
नीमा की कच्ची-पक्की निबोलियां
Saturday, August 21, 2010
चांदनी खिलखिलाई
पूनम का चांद निकला आसमान में
चांदनी फिसली पत्तों से जमीन पर
नदी में प्रतिबिम्ब नजर आया उनका
रातरानी पर मंडराते भंवर
कली शरमाई फूल बनने को तत्पर
दूधिया रोशनी में हवा सरसराई
ऐसा लगा मानो चांदनी ही खिलखिलाई
0 नीमा
Saturday, August 14, 2010
'उत्सव' के रंग
पंद्रह अगस्त
यानी
उत्सव
। यानी
उत्सव
का जन्मदिन।
उत्सव
यानी हमारा छोटा बेटा। आज वह उन्नीस साल पूरे करके बीसवें साल में प्रवेश कर रहा है। उसकी कुछ यादें यहां तस्वीरों की जुबानी । एक आलेख
गुल्लक
में पढ़ सकते हैं।
दादी की गोद में, भाई कबीर के साथ
मां की गोद में: कुआं पूजन के दिन
नीमा का उत्सव
पहले जन्मदिन पर उत्सव की मित्र मंडली
दादा की गोद और बड़ दादी की छाया
चलो भाई फुटबाल खेलते हैं....!
पहले कुछ खा तो लूं....!
अच्छा केक भी काट लेता हूं : सातवीं सालगिरह
हां जी होली भी खेलते रहे हैं हम !
नौवीं सालगिरह!
जन्मदिन मेरा है ,पर केक तो मां को खाना पड़ेगा!
Sunday, August 8, 2010
प्रिय हुए हैं परदेशी
।।एक।।
ओ सावन के रुइया बादल
बन जाओ न कारे काजल
देख, समझ जाएंगे वो इशारा
भेजा है तुम्हें लेकर संदेश हमारा
लौटकर जल्द आना ,लाना जवाब
हम करेंगे हर दिन इंतजार तुम्हारा।
।।दो।।
ओ सावन की नखरीली हवा
थोड़ा थम थम कर चल जरा
सुर्ख मेंहदी रचती हैं हथेलियां
बाहों में भरती हरी हरी चूडि़यां
माथे पर सजती लाल बिन्दिया
तेरे पल्लू में बंधती अठखेलियां
तू राह न बदलना, बस
प्रिय की दिशा में ही मचलना।
।।तीन।।
सांवली सलोनी घटा
कितना मुश्किल है
विस्तृत नभ से छिटककर
कठिन डगर पर चल पड़ना
नीर साथ में लिए उमड़कर
ढूंढकर गगन में अपनी मंजिल
प्रिया की पाती प्रिय तक पहुंचाना,
जैसे कल घुमड़ना, आज मिट जाना।
0 नीमा
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